Romance
35 years old and up
1000 to 2000 words
Hindi
Story Content
अलकनंदा, पैंतीस वर्ष की, एक सफल वास्तुकार थीं, लेकिन उनके जीवन में आकर्षण की कमी थी। काम ही उनकी दुनिया था, उसकी रेखाएँ और कोण उसकी सांसों की लय थे। उनके दफ़्तर में, जो कि किताबों, डिज़ाइनों और स्केचों से भरा हुआ था, अकेलेपन का एक आभास था जो अकसर उन शामों को गहरा हो जाता था जब चाँद इमारतों के सिल्हूट को अपने ठंडे आलिंगन में ढँक लेता था।
एक कॉन्फ्रेंस के दौरान, जहाँ वह अपने नए इको-फ़्रेंडली डिज़ाइन पेश कर रही थीं, उनकी नज़र अर्जुन से मिली। अर्जुन, एक पर्यावरण इंजीनियर, उसके विचारों की स्पष्टता और उसके काम में समर्पण से मोहित हो गया। एक साधारण सी मुस्कराहट, फिर कुछ शब्दों का आदान-प्रदान, और अंततः शाम को एक साथ खाने का न्योता - उनके बीच झुकाव बढ़ता गया।
अर्जुन का व्यक्तित्व अलकनंदा से बिल्कुल अलग था। वह लापरवाह, मज़ाकिया, और प्रकृति के प्रति समर्पित थे। उनके साथ बात करने पर अलकनंदा को एक आज़ादी का अनुभव होता था, जैसे उसके कंधों से सालों का बोझ उतर गया हो। रोमांस की एक हल्की सी चिंगारी जल उठी, जिसने उसके हृदय के वर्षों से जमे बर्फ को पिघलाना शुरू कर दिया।
एक शाम, जब वे शहर के बाहरी इलाके में स्थित एक पुराने किले की दीवारों के नीचे तारों को देख रहे थे, अर्जुन ने उसका हाथ पकड़ा। उनकी उंगलियाँ एक-दूसरे से जुड़ गईं, एक मौन समझ उनके बीच बन गई। उसने उसे पहली बार चुंबन दिया, और अलकनंदा को ऐसा लगा जैसे वह सालों बाद साँस ले रही है। यह केवल होंठों का स्पर्श नहीं था, बल्कि दो आत्माओं का मिलन था।
समय बीतने के साथ, उनका प्यार गहरा होता गया। अलकनंदा ने अपने दिल में कभी महसूस न किए गए एहसास को महसूस किया। अर्जुन ने उसके अंदर छुपे कलाकार को उभारा, उसे रंगों और भावनाओं की एक दुनिया दिखाई जिसके बारे में उसने कभी सोचा भी नहीं था। वे अक्सर देर रात तक हमबिस्तर रहते थे, एक-दूसरे को कहानियाँ सुनाते और अपनी आत्माओं को एक-दूसरे में डुबोते हुए।
लेकिन जैसे हर कहानी में एक मोड़ होता है, उनकी कहानी में भी आया। अर्जुन के पुराने रिश्तेदार का उसके जीवन में लौटना एक परीक्षा बन गया। अलकनंदा ने सुना कि अर्जुन और उसकी पूर्व-पत्नी एक साथ दिखाई दे रहे थे, जिससे उनके रिश्ते में तनाव आने लगा। अविश्वास के बीज पनपने लगे।
एक दिन, अलकनंदा ने अर्जुन को किसी अन्य महिला के साथ एक कैफ़े में देखा। उनके बीच की दूरी कम थी और बातों में गहरी आकर्षण दिखाई दे रही थी। उसने अनुमान लगाया कि वह क्या देख रही है, बिना पूरी सच्चाई जाने एक निष्कर्ष पर पहुंची। ईर्ष्या और असुरक्षा के कारण उसने क्रोधित होकर अर्जुन को फोन किया और बिना उसे सफाई का मौका दिए उससे संबंध तोड़ लिए। दिल टूटना उसे चकनाचूर कर गया।
अर्जुन ने बार-बार उसे समझाने की कोशिश की, लेकिन अलकनंदा ने सुनने से इनकार कर दिया। उसने उसे धोखा देने का आरोप लगाया, हालाँकि वह महिला सिर्फ एक पुरानी दोस्त थी जिसकी वह मुश्किल समय में मदद कर रहा था। अलकनंदा वापस अपनी पुरानी ज़िंदगी में लौट गई, काम में डूब गई और अपने गम को छिपाने की कोशिश की।
धीरे-धीरे अलकनंदा अवसाद में डूबने लगी। उसकी रचनात्मकता ख़त्म हो गई, उसकी प्रेरणा मर गई, और उसकी आँखों से चमक गायब हो गई। उसे समझ में आया कि उसने एक गलती की है, उसने एक सच्चे प्यार को जाने दिया, सिर्फ डर और गलतफहमी की वजह से।
एक साल बाद, एक प्रदर्शनी में अलकनंदा की नज़र अर्जुन पर पड़ी। वह पहले से ज़्यादा शांत और समझदार लग रहा था। दोनों की निगाहें मिलीं और उस क्षण में, अलकनंदा ने अपनी ग़लती को महसूस किया। उसने अर्जुन के पास जाकर माफी माँगी, अपने डर और अपनी असुरक्षाओं के बारे में बताया।
अर्जुन ने उसे माफ कर दिया। उसने कहा कि उसने हमेशा उससे प्यार किया है और हमेशा करता रहेगा। उसने समझाया कि उस महिला को एक पुराने दोस्त के रूप में समर्थन देना, उनके रिश्ते को धोखा देना नहीं था। उन्होंने फिर से एक साथ शुरू करने का फैसला किया, इस बार अधिक विश्वास और समझ के साथ।
वे फिर से मिले, अपनी गलतियों से सीखा और अपने प्यार को एक और मौका दिया। उन्होंने उस छेद को पाटने में समय लगाया, दिल टूटना से उबरने में सहायता की। अलकनंदा और अर्जुन, दोनों ने महसूस किया कि सच्चा प्यार विश्वास, क्षमा और समझ पर आधारित होता है। वे एक बार फिर तारों को देखने गए, और इस बार, उनके चुंबन में मिलन की गहराई और आने वाली पीढ़ियों के लिए एक वादा था।